Why Married DAUGHTERS comes to visit their PARENTS...?
बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर बेटियाँ पीहर आती है अपनी जड़ों को सींचने के लिए तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ वे ढूँढने आती हैं अपना सलोना बचपन वे रखने आतीं हैं आँगन में स्नेह का दीपक बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर ~~~ बेटियाँ ताबीज बांधने आती हैं दरवाजे पर कि नज़र से बचा रहे घर वे नहाने आती हैं ममता की निर्झरनी में देने आती हैं अपने भीतर से थोड़ा-थोड़ा सबको बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर ~~~ बेटियाँ जब भी लौटती हैं ससुराल बहुत सारा वहीं छोड़ जाती हैं तैरती रह जाती हैं घर भर की नम आँखों में उनकी प्यारी मुस्कान जब भी आती हैं वे, लुटाने ही आती हैं अपना वैभव बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर प्यारे पा पा, "बेटी" बनकर आई हु माँ-बाप के जीवन में, बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में, क्यों ये रीत "रब" ने बनाई होगी, "कहते" है आज नहीं तो कल तू "पराई" होगी, देकर जनम "पाल-पोसकर" जिसने हमें बड़ा किया, और "वक़्त" आया तो उन्ही हाथो ने हमें "विदा" किया, "टूट" के बिखर जाती है हमारी "ज़िन्दगी " व