हिन्दू और मुस्लमान
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं !
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
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सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए..
न जाने कब नारियल हिन्दू और खजूर मुसलमान
हो गए......
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं,वो सिर्फ निवालों को जानते हैं |
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है,
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है |
मैं अमन पसंद हूँ ,मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो ,मेरी छत पर तिरंगा रहने
दो....
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अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
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सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए..
न जाने कब नारियल हिन्दू और खजूर मुसलमान
हो गए......
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं,वो सिर्फ निवालों को जानते हैं |
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है,
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है |
मैं अमन पसंद हूँ ,मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो ,मेरी छत पर तिरंगा रहने
दो....
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बात अच्छी है, मगर अधूरी है, मेरे यार,
ReplyDeleteअगर चाहिए तुम्हे दुनिया में अमन और प्यार,
तो अपनी छत पर तिरंगा भी मत रहने दो,
ये आखिरी दीवार है, इसे भी ढहने दो।
इन झंडों ने भी इंसान को बाँटा है,
दुनिया को टुकड़ों में काटा है।
उस दिन दुनिया में सचमुच अमन हो जायेगा,
जब इंसानियत मजहब और सारा जहाँ वतन हो जायेगा।