शुन्य
जंगल जंगल ढूंढ रहा है, मृग अपनी कस्तूरी ! कितना मुश्किल है तय करना, खुद से खुद की दूरी ! भीतर शुन्य बाहर शुन्य शुन्य चारों ओर है ! मैं नहीं हूँ मुझमें, फिर भी "मैं - मैं" का ही शोर है !!
Life in all its aspects...social, political, psychological,spiritual, emotional, romantic is bright and glittering...!!!