कर्मपथ


कर्मपथ

कर्मपथ पर इस प्रखरतर,
फूल भी हैं, शूल भी हैं,
अल्पजन अनुकूल हैं,
पर सैकड़ों प्रतिकूल भी हैं
                   तालियों की टूट है
                   पर गालियां भरपूर इस पर,
                  संकटों के शैल शत शत
                  मोह भ्रम के मूल भी हैं,
किन्तु सुख दुःख से सदा ही
एक सी अभिनन्दना ले
चलते रहना तुम निरंतर
चिर विजय की कामना ले 

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