हालात-ए-मुल्क
वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है जिस्से गांधी बकरी बांधा करते थे किन्तु वो रस्सी कहां है जिस पे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे? हालात-ए-मुल्क देख के रोया न गया, कोशिश तो की पर मूंह ढक के सोया न गया देश मेरा क्या बाजार हो गया है .... पकड़ता हूँ तिरंगा तो लोग पूछते है कितने का है... वर्षों बाद एक नेता को माँ गंगा की आरती करते देखा है, वरना अब तक एक परिवार की समाधियों पर फूल चढ़ते देखा है। वर्षों बाद एक नेता को अपनी मातृभाषा में बोलते देखा है, वरना अब तक रटी रटाई अंग्रेजी बोलते देखा है। वर्षों बाद एक नेता को Statue Of Unity बनाते देखा है, वरना अब तक एक परिवार की मूर्तियां बनते देखा है। वर्षों बाद एक नेता को संसद की माटी चूमते देखा है, वरना अब तक इटैलियन सैंडिल चाटते देखा है। वर्षों बाद एक नेता को देश के लिए रोते देखा है, वरना अब तक "मेरे पति को मार दिया" कह कर वोटों की भीख मांगते देखा है। पाकिस्तान को घबराते देखा है, अमेरिका को झुकते देखा है। इतने वर्षों बाद भारत माँ को खुलकर मुस्कुराते देखा है।